बाबा मस्तनाथ जी की आरती स्तुति



बाबा मस्तनाथ जी की आरती 

 ॐ जय मस्तनाथ हरे बाबा जय मस्त नाथ हरे|
भक्त जनों के संकट पल मैं दूर करे ||
बाबा जय मस्त नाथ हरे|
 जो सुमरे सो पर तीरे दुख नस्त होवे मन के|
सद बुद्धि मिले भक्तों को त्रिताप मिटे मन के ||
बाबा जय मस्त नाथ हरे|
कम्बल पुष्प लिए खड़े तुम सम नहीं दूजा |
अगियानी है शिवानी स्वीकार करो पूजा ||
बाबा जय मस्त नाथ हरे|
बाबा मस्तनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे |
अन धन विद्या बुद्धि ये चरों पावे ||
बाबा जय मस्त नाथ हरे|


बाबा मस्तनाथ जी की स्तुति 


जय गुरु देव अखिल अविनाशी , त्रिभुवन दाता घट घट वासी |
अगम अगोचर अंतर्यामी , मस्तनाथ गुरुदेव नमामि ||
सिद्ध  सिरोमणि ब्रहम स्वरूपा, नाथ निरंजन अलख अनूपा |

ज्ञान वैराग परम पद गामी, मस्तनाथ गुरुदेव नमामि ||
जटा मुकुट सृवंदिती कुंडल ,भस्म अंग अखंडित निश्चल|
नाद जनेऊ भूषित श्वामी ,मस्तनाथ गुरुदेव नमामि ||
अगम अगोचर भावातीतं , मनो निरोधी त्रिगुण रहितम|
गोरक्ष काया आत्मा रामी, मस्तनाथ गुरुदेव नमामि || 



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